दिल में आग लगाने वाली शायरी
चिराग बुझा दो, अब रौशनी की ख्वाहिश नहीं,
जल चुके हैं इतने, अब राख ही काफी है।
तेरा जिक्र दिल को चीर जाता है,
दर्द का हर कतरा आग बन जाता है।
हवा में घुल गया है जहर सा,
तेरे इश्क का असर ऐसा।

जलते हैं अरमान जो बुझाए नहीं जाते,
दिल की आग को लफ्जों में बयां नहीं करते।
तूने लगाया था दिल में शोला,
अब ये आग बन चुकी है ज्वाला।
सुलगती ख्वाहिशें हैं सीने में दबी,
हर सांस बनती जा रही है बिजली।

चिंगारी बनकर इश्क फिज़ा में फैला,
जल गया हर कोना, जहां तू गया।
राख से उठकर जिंदा हुए थे,
फिर इश्क में जलकर फना हुए।
तेरा हर वादा जलती चिंगारी सा,
दिल को सुलगाता है हर साजिश सा।
तेरी बेवफाई का हिसाब मत मांग,
ये दिल तो पहले ही राख बन चुका है।

शोलों में ढूंढा है मैंने सुकून,
तेरा प्यार ऐसा कि बना दिया जुनून।
धड़कनों में बस आग ही आग है,
तेरा इश्क जैसे किसी ज्वालामुखी का धुआं।
तू हवा है, पर ठंडी नहीं,
दिल को सुलगाने वाली आग है।
इश्क का अंजाम यही होता है,
दिल आग का दरिया बन जाता है।

तेरी यादें हैं जैसे जलते शोले,
हर रात दर्द से और गहरे होते।
दिल का ये हाल मत पूछ,
जो तूने जलाया है, वो बुझता नहीं।
तेरी बातें ऐसी, जैसे अंगारों की बौछार,
दिल का चैन खो गया, तुझसे प्यार बार-बार।
नफरत के शोले भी जलाते नहीं,
जितना तेरा प्यार जलाता है।

मिटा न सके कोई दिल की आग को,
ये वो शोला है जो तुझसे जलता है।
सांसों में है जलने की ख्वाहिश,
दिल को आग से अब डर नहीं।
तूने जो जलाया, अब वो बुझा नहीं सकते,
दिल के हर कोने में तेरे इश्क के शोले हैं।
तेरी बेवफाई ने दिल को राख कर दिया,
अब तो सिर्फ राख से खेलना आता है।
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हर ख्वाब जलकर धुआं हो गया,
तेरा प्यार सुलगता हुआ साया बन गया।
आंसू भी कम पड़ गए इस आग को बुझाने,
इश्क का ये मंजर कयामत से कम नहीं।

तेरे लौटने की उम्मीद ने,
दिल में नई आग जलाई है।
नफ़रत की आग भी ठंडी लगती है,
तेरे इश्क की आग के सामने।
तेरी मुस्कान ने जलाया है मेरा वजूद,
अब इस आग को क्या कोई बुझा पाएगा?
खुदा ने भी पूछा, ये आग कैसे जली?
मैंने कहा, इश्क में जले तो जवाब नहीं।

तेरी आँखों का जलता सैलाब,
दिल को शोला बना देता है।
चुपचाप जल रहे हैं,
कोई बुझाने भी नहीं आता।
दिल की ये आग अब काबू में नहीं,
तेरा प्यार ही मेरा कसूर था।
तूने प्यार किया था जज्बातों से खेलकर,
अब ये आग तो बेकाबू ही जलेगी।

तेरे इश्क ने जो राख कर दिया,
अब उसमें से फिर कोई जलता है।
दिल के कोने-कोने में धधक रहा है तेरा नाम,
ये आग अब बुझाए नहीं बुझेगी।
तूने छेड़ी जो बात,
दिल में शोला बन गई।
आग जो लगाई है तूने,
उसकी तपिश में जिंदा हैं।

तेरा इश्क जैसे आग का समंदर,
डूबते हैं, पर किनारे नहीं मिलते।
दिल जलता रहा तेरे इंतजार में,
तू आया नहीं, आग बुझाई नहीं।
ख्वाहिशें भी राख बन गईं,
इस आग में खुद को जलाते-जलाते।
तेरे बिना ये आग ठंडी लगती है,
तू आए तो फिर से जल उठे।

रातों में जलता है दिल का दामन,
तेरे नाम की तपिश है हर कोने में।
जलती हैं ख्वाहिशें, पर बुझती नहीं,
ये दिल का हाल तुझसे बयां होता नहीं।
तेरे वादों ने ये आग लगाई,
अब राख ही जिंदगी का सहारा है।
दिल के जख्मों से निकलती है तपिश,
तेरे इश्क का ये नतीजा है।

बेवफाई तेरी जैसे शोला बन गई,
अब जिंदगी भी राख में बदल गई।
तेरे ख्यालों ने वो ज्वाला दी,
जो हर रात जलाती है।
तेरे इश्क की कीमत ये है,
आग में जलकर खुद को भुलाना।
राख से उठे हैं, पर फिर से जलने को तैयार हैं,
ये इश्क की दुनिया है, यहां दर्द ही त्योहार है।
दिल के कोने में दबी आग को हवा दी,
तेरे प्यार ने जो मेरी हस्ती भुला दी।
हर बार तेरे इश्क में जलते हैं,
मगर फिर भी तुझसे प्यार करते हैं।
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